चैतन्य उपनिषद में आपका स्वागत है
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरु र्देवो महेश्वरः
गुरुःसाक्षात् परंब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः
नमश्कार !
आप का स्वागत है चैतन्यता के इस जगत में जहाँ पर साधकों के अज्ञान का नाश करने का एक बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में किसी को कुछ मिलना नहीं है बल्कि जो कुछ अज्ञान इखट्टा किया गया है जन्मों-जन्मों से वो भी छीन लिया जायेगा। केवल चन्द साहसी लोग ही इस सफर में मेरे साथ रह पाएंगे। आशा है कि आप उन भाग्यशाली लोगों में से हैं जिनको अज्ञान से मुक्ति मिलने वाली है।
यहाँ पर मुख्यतः ज्ञानमार्ग से सम्बंधित विषयों को प्राथमिकता दी जाएगी क्योंकि मेरा मार्ग ज्ञानमार्ग है और ये मेरा प्रिय क्षेत्र भी है। मैंने जो कुछ भी सीखा है वो अपने गुरु श्री तरुण प्रधान जी के माध्यम से सीखा है और उनका प्रभाव मेरे ऊपर बहुत गहरा पड़ा है। मैंने भी प्रयास किया है कि ये प्राचीन ज्ञान बहुत आसान शब्दों के माध्यम से आप तक पहुँचे।
मैं ब्लॉगर के क्षेत्र में नया हूँ इसे लिखते समय कोई भी भाषागत या अन्य त्रुटि रह गयी हो तो मैं क्षमा चाहता हूँ। आप से निवेदन है कि अध्यात्म से सम्बंधित कोई प्रश्न हो तो जरूर पूछें मैं उनका उत्तर देने का प्रयास करूंगा।
धन्यवाद
चैतन्य आकाश
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