ज्ञान का संयोजन या व्यवस्थापन क्या होता है
जैसा कि पिछले लेख में बताया गया था कि ज्ञान एक चित्तवृत्ति है जोकि विभिन्न अनुभवों के बीच तार्किक समबन्ध जोड़ती है जिससे कि जिससे संयोजित और व्यवस्थित अनुभवों की स्मृति बनती है जिसे संस्कार कहते हैं। चित्त इसी तरह के संस्कारों से बनी हुई रचना है जो और ज्यादा ज्ञान प्राप्त कर-कर के और ज्यादा संस्कारित होती जाती है ये प्रक्रिया लगातार चल रही है यही चित्त का विकासक्रम है। परन्तु ये संयोजन क्या है और कैसे होता है इसे जानना भी आवश्यक है।